गर्भाधान करने पर मुख्यालय से मिलने वाली राशि में होता है खेला, रिश्वतखोर डॉक्टर ने खोली विभाग की पोल
छिंदवाड़ा -हमेशा सुर्खियों में रहने वाला पशु चिकित्सा विभाग एक बार फिर चर्चाओं में बना हुआ है। जहां मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचल तक शासकीय योजनाओं का लाभ पशुपालकों को दिए जाने के एवज में कमीशन खोरी का खेल चलता आ रहा है। इस खेल की आज उस समय पुष्टि हुई जब जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने एक पशु चिकित्सक को प्रोत्साहन राशि निकालने के एवज में गौ सेवक से ही कमीशन की राशि मांग ली। इस मामले में विभाग के कर्मचारियों ने यहां तक कह दिया कि कमीशन का यह हिस्सा ऊपर तक जाता है। ज्ञात हो की शासकीय योजना का लाभ पशुपालकों को दिए जाने के बाद विभाग द्वारा उन कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस प्रोत्साहन राशि को मुख्यालय में बैठे अधिकारियो से निकलवाने के लिए उन्हें भारी कमीशन देना पड़ता है।
जुन्नारदेव में भी पीड़ित गो सेवक सुरेश यदुवंशी राष्ट्रीय व्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के तहत अपने विभागीय कार्य को किया था। जिसके एवज में विभाग से उसे 45 हजार की प्रोत्साहन राशि मिलना था। इस प्रोत्साहन राशि की स्वीकृति मुख्यालय के अधिकारियों से मिलती है। लेकिन इसके एवज में मुख्यालय और स्थानीय अधिकारियों की सेवा करना पड़ता है। इसी सेवा के तहत जुन्नारदेव के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ योगेश कुमार द्वारा 45 हजार की प्रोत्साहन राशि निकालना के लिए 25 हजार की मांग की जा रही थी। आज जब गो सेवक सुरेश द्वारा 20 हजार की राशि दी जा रही थी, तब लोकायुक्त जबलपुर की टीम ने डॉक्टर को पकड़ लिया।
हर काम के लिए देना पड़ता है कमीशन –
पशु चिकित्सा विभाग में हर काम के एवज में कमीशन देना पड़ता है। यह कमीशन मुख्यालय में बैठे अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा मेडिकल, जीपीएफ, यात्रा भत्ता, छुट्टी स्वीकृत, सहित अन्य कार्यों के लिए तय प्रतिशत के हिसाब से देय होता है। अधिकारियों का यह खेल लंबे समय से चला आ रहा है।
जरा हट के…
रिपोर्ट…
प्रवीण काटकर
9424300567