रिटायर के बाद भी नहीं हो रहा सरकारी आवास से मोह भंग
छिंदवाड़ा – जनजाति कार्य विभाग में सालों तक अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत हुए कर्मचारियों ने सरकारी आवासों पर सालों से अपना कब्जा जमाए हुए है। करीब आधा दर्जन से अधिक ऐसे रिटायर्ड अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिन्होंने सरकारी आवास अब तक नहीं छोड़ा है। जिनका मोह भी सरकारी आवास से भंग नहीं हो पा रहा है। इस बात की जानकारी होने के बाद भी विभाग के साहब की रिटायर्ड कर्मचारियों पर इतनी मेहरबानी कई सवालों को जन्म दे रही है।
हमेशा किसी न किसी मामले को लेकर सुर्खियों में बना रहने वाला जनजाति कार्य विभाग एक बार फिर चर्चाओं में बना हुआ है, जहां करीब आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों ने सरकारी आवास को छोड़ने में कोई रुचि नहीं दिखाइ। इस मामले में विभागीय जानकारो की माने तो रिटायर हो चुके कर्मचारियों को सरकारी आवास से खाली कराने कोई प्रयास नहीं किए हैं। और न ही रिटायर्ड कर्मचारियों से सरकारी नियमों के तहत किराए की वसूली की जा रही है। मजेदार बात तो यह भी है कि नगर निगम के कर्मचारी ने भी सालों से सरकारी आवास पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। जिसे भी खाली करने का कोई प्रयास साहब द्वारा नहीं किया गया है। जिससे यह तो साफ है कि साहब पूरी तरह से रिटायर्ड कर्मचारियों पर मेहरबान है।
साहब की कर्मचारियों पर इतनी मेहरबान क्यों –
जनजाति कार्य विभाग के साहब अपने अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारियों पर इतने मेहरबान क्यों है। यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। इधर जिले के छात्रावास और आश्रम में अधीक्षक और कर्मचारी उपस्थित तक नहीं रहते। जिस कारण बच्चों की जान पर बन आती है। वहीं आए दिन अधिकारी और कर्मचारियों की इस लापरवाही का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण जिले में अब तक पिछले कुछ माह में तीन बच्चों की मौत भी हुई है, लेकिन इसके बाद भी न तो अधिकारी गंभीर नजर आ रहे हैं और न ही कर्मचारियों में अपने कार्य के प्रति रुचि दिखाई दे रही है।
जरा हट के…
रिपोर्ट…
प्रवीण काटकर
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